Friday, February 12, 2010

Tanhai...

तन्हाई के बीच हम
क्यूँ खो से जाते है

उन् यादों में
जो बस अब यादें है

दूर कही क्यूँ आती है वही आवाजें
वही लम्हे .... वही बातें
वही सपने और वही रातें

यह कशिश अजीब सी होती है
खिचती हैं हमको अपनी ओर
दूर कही दूर...
इस हकीकत से दूर...